पंoदीनदयाल जी सादगी तथा सरलता की प्रतिमूर्ति थे- सूर्यप्रकाश पाण्डेय

भण्डाफोर ब्यूरो-
थाना क्षेत्र शोहरतगढ़ से
दुर्गेश वर्मा की रिपोर्ट-

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के आवाहन पर उन्हें याद करके उनके चित्र के समक्ष पुष्पार्चन किया गया। इस दौरान सांसद प्रतिनिधि सूर्यप्रकाश पाण्डेय ने सम्बोधित करते हुए कहा कि आज से १०४ साल पहले आज ही के दिन अर्थात् २५सितम्बर १९१६ को उत्तर प्रदेश में मथुरा जिले के नगला चंद्रभान गांव में पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म हुआ था । पिता श्री भगवती प्रसाद उपाध्याय तथा माता श्रीमती रामप्यारी देवी की संतान के रूप में जन्मे पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने बचपन में ही आत्मीयजनों की लगातार मृत्यु को देखते हुए मानो कच्ची उम्र में ही काल की गति से साक्षात्कार कर लिया था। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने पडाई पूरी करने के बाद संघ’ के जीवनव्रती प्रचारक बन गए । श्री गुरुजी की प्रेरणा से डाॅ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने २१अक्टूबर १९५१ को ‘भारतीय जनसंघ’ की स्थापना की पंडित दीनदयाल उपाध्याय की कार्यकुशलता तथा सांगठनिक क्षमता से प्रभावित होकर डाॅ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि “मुझे ऐसे दो दीनदयाल मिल जाएँ तो मैं देश की राजनीति का नक्शा बदल दूँ ।
इस दौरान पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष शिवशक्ति शर्मा ने कहा कि वे एक अप्रतिम चिंतक, विचारक तथा कुशल राजनीतिज्ञ थे ।पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने समाज के सबसे निचले स्तर के लोगों के विकास को ध्यान में रखते हुए ‘अंत्योदय’ की परिकल्पना प्रस्तुत की। प्रत्येक देश की अपनी विशेष ऐतिहासिक, सामाजिक और आर्थिक परिस्थिति होती है और उसके हिसाब से उस देश के नेता और विचारक देश को आगे बढ़ाने की दृष्टि से मार्ग निर्धारित करते हैं ।श्री शर्मा ने आगे कहा कि ऐसे दैदीप्यमान सितारे समय-समय पर समाज में आते तो हैं, लेकिन एक लम्बे अंतराल के बाद, और अपने जाने के बाद जो रिक्तता छोड़ जाते हैं उसकी भरपाई सम्भव नहीं होती ।ऐसे महामानव को उनके जन्मदिन पर शत शत नमन। इस दौरान कार्यक्रम में विरेन्द्र गुप्ता, सुभाष यादव, पुष्कर त्रिपाठी, चन्द्र प्रकाश, अजय कसौधन, रवि गौड़ आदि लोग मौजूद थे।

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