भण्डाफोर समाचार
धर्मेन्द्र चौधरी की रिपोर्ट-
खुनुवा बॉडर, सिद्धार्थनगर । खुनुवा बॉडर के आवागमन बहाल होने से दोनों देशों के नागरिकों, ब्यवसायियों को अपार खुशी हुई,
कोविड 19 वैश्विक महामारी के कारण दोनों देशों के नागरिकों का आवागमन पिछले डेढ़ वर्ष 23.3.2020से बंद था,लम्बे समय से दोनों देशों के पहल पर व स्थानीय अधिकारियों के बीच सकारात्मक वार्ता के दौरान बार्डर खोलने की सहमति हुई।एस.एस.बी.की 43वीं वाहिनी के कार्यवाहक कमान्डेंट अमित सिंह ने फीता काटकर व बैरियर उठाकर खुनुवा बार्डर को पैदल ,दो पहिया वाहन ,चार पहिया वाहन आने जाने के लिए खोला।जिस समय बार्डर खोलने की प्रक्रिया शुरु हुई, उसी समय से दोनों देशों के आम नागरिक सीमा पर जमे रहे।बार्डर का मुख्य मार्ग खुलते ही लोगों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी।
लोग एक दूसरे को मिठाई खिलाने लगे।व पटाखे दागना शुरू कर दिये।आवागमन के दृष्टि गत वाहनों के संचालन हेतु नेपाल के सुठौली भंसार के इंस्पेक्टर जे.के.लाल चौधरी ने बताया कि एक दिन का दो पहिया वाहन का 150रू. भंसार व चार पहिया वाहन का भंसार 500 रू. नेपाली शुल्क देय होगा। साथ ही आने जाने वाले लोगों के लिए दोनों टीके ,का कागजात, व 72घंटे का आर.टी.सी.पी.सी.आर. जांच जरूरी होगा।
इस अवसर पर नेपाल के कपिलवस्तु जिले के पुलिस अधीक्षक ध्रुव कार्की ,सशस्त्र सीमा बल ,ए.पी.एफ. इंस्पेक्टर शंकर सिंह ,एस.एस.बी.कैम्प खुनुवा के इंचार्ज इंस्पेक्टर राकेश पटेल , मय स्टाफ ,चौकी इंचार्ज सभाशंकर यादव,मय स्टाफ कपिलवस्तु के कांग्रेस पार्टी के पूर्व जिला सचिव सुधाकर पान्डेय, विन्ध्याचल गिरी,सचमुच तिवारी, ग्राम प्रधान संजय पासवान, प्रभु गुप्ता, जगदम्बा प्रसाद कसौधन, गुड्डू गुप्ता, दिनेश गुप्ता, डा.फौजदार मोहित आदि लोग मौजूद रहे।
खुनुवा ब्यवसायी का बयान….।
कृष्णा साइकिल स्टोर के कृष्ण कुमार मिश्र का कहना है कि अब उम्मीद की न ई किरण जग गई है,
दुर्गा बस्त्रालय के रिंकू गुप्ता ने बताया कि लम्बे सम्य से आवागमन बाधित होने से नुकसान ज्यादा हो रहा था,जो अब नही होगि।
नेपाल के अम्बे ट्रेडर्स के रमेश कसौधन का कह ना है,कि बहुत नुकसान हुआ, दोनों देशों के आवागमन बाधित होने से,लेकिन अब आशा की किरण जग गया है,भविष्य में हम लोग अपना गम भूल जायेंगे।क्योंकि हमारा ज्यादा ब्यापार भारत के लोगों पर आधारित है।
प्रहलाद मिष्ठान भंडार मर्यादपुर नेपाल के प्रहलाद गुप्ता ने कहा, बड़ी अपार खुशी है,बार्डर खुलने से,इंतजार की घड़ियां खत्म हो गयी ।